शायरी ख्वाहिश नहीं मुझे मशहूर... - Hindi Shayari

Sunday, 25 March 2018

शायरी ख्वाहिश नहीं मुझे मशहूर...

ख्वाहिश नहीं मुझे मशहूर होने की।
आप मुझे पहचानते हो बस इतना ही काफी है।

अच्छे ने अच्छा और बुरे ने बुरा जाना मुझे,
क्योंकी जिसकी जितनी जरुरत थी उसने उतना ही पहचाना मुझे।

ज़िन्दगी का फ़लसफ़ा भी कितना अजीब है,
शामें कटती नहीं, और साल गुज़रते चले जा रहे हैं।

बैठ जाता हूं मिट्टी पे अक्सर...
क्योंकि मुझे अपनी औकात अच्छी लगती है।

मैंने समंदर से सीखा है जीने का सलीक़ा,
चुपचाप से बहना और अपनी मौज में रहना।

ऐसा नहीं है कि मुझमें कोई ऐब नहीं है पर
सच कहता हूँ मुझमे कोई फरेब नहीं है।

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