रोशनी कच्चे घरों तक... March 25, 2018 Hindi , गरीबी पर शायरी वो जिसकी रोशनी कच्चे घरों तक भी पहुँचती है, न वो सूरज निकलता है, न अपने दिन बदलते हैं। Share with your friends