निगाहों के तक़ाज़े चैन... March 25, 2018 Hindi , रोमांटिक शायरी निगाहों के तक़ाज़े चैन से मरने नहीं देते, यहाँ मंज़र ही ऐसे हैं कि दिल भरने नहीं देते, क़लम मैं तो उठा के जाने कब का रख चुका होता, मगर तुम हो कि क़िस्सा मुख़्तसर करने नहीं देते । Share with your friends