हमें कोई ग़म नहीं था ग़म-ए-आशिक़ी से पहले, न थी दुश्मनी किसी से तेरी दोस्ती से पहले, है ये मेरी बदनसीबी तेरा क्या कुसूर इसमें, तेरे ग़म ने मार डाला मुझे ज़िन्दग़ी से पहले।
ऐसा नहीं के तेरे बाद अहल-ए-करम नहीं मिले, तुझ सा नहीं मिला कोई, लोग तो कम नहीं मिले, एक तेरी जुदाई के दर्द की बात और है, जिनको न सह सके ये दिल, ऐसे तो गम नहीं मिले।