Hindi Shayari: तारीफ़ शायरी
Showing posts with label तारीफ़ शायरी. Show all posts
Showing posts with label तारीफ़ शायरी. Show all posts

Sunday, 25 March 2018

आपको देख कर देखता...

आपको देख कर देखता...

आपको देख कर देखता रह गया,
क्या कहूँ और कहने को क्या रह गया।

आते-आते मेरा नाम-सा रह गया,
उस के होंठों पे कुछ काँपता रह गया।

वो मेरे सामने ही गया और मैं,
रास्ते की तरह देखता रह गया।

झूठ वाले कहीं से कहीं बढ़ गये,
और मैं था कि सच बोलता रह गया।

आँधियों के इरादे तो अच्छे न थे,
ये दिया कैसे जलता हुआ रह गया।
~ वसीम बरेलवी
उनकी बातो का दौर...

उनकी बातो का दौर...

उनकी बातों का दौर
उनकी आवाज का दीवाना
वो दिन भी क्या दिन थे
जब वो पास थे मेरे
और अजनबी था जमाना।
बहारो फूल बरसाओ...

बहारो फूल बरसाओ...

बहारों फूल बरसाओ मेरा महबूब आया है,
हवाओं रागिनी गाओ मेरा महबूब आया है।

ओ लाली फूल की मेंहँदी लगा इन गोरे हाथों में,
उतर आ ऐ घटा काजल, लगा इन प्यारी आँखों में,
सितारों माँग भर जाओ मेरा महबूब आया है।

नज़ारों हर तरफ़ अब तान दो इक नूर की चादर,
बडा शर्मीला दिलबर है, चला जाये न शरमा कर,
ज़रा तुम दिल को बहलाओ मेरा महबूब आया है।

सजाई है जवाँ कलियों ने अब ये सेज उल्फ़त की,
इन्हें मालूम था आएगी इक दिन ऋतु मुहब्बत की,
फ़िज़ाओं रंग बिखराओ मेरा महबूब आया है।

फिल्म - सूरज
तेरी आँखों के सिवा...

तेरी आँखों के सिवा...

मैने समझा था कि तू है तो दरख़्शां है हयात,
तेरा ग़म है तो ग़मे-दहर का झगड़ा क्या है,
तेरी सूरत से है आलम में बहारों को सबात,
तेरी आँखों के सिवा दुनिया मे रक्खा क्या है।

Photography

[Photography][recentbylabel2]

Anime

[Anime][recentbylabel2]
Notification
This is just an example, you can fill it later with your own note.
Done