Hindi Shayari: तन्हाई शायरी
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Sunday, 25 March 2018

तलब ऐसी कि बसा...

तलब ऐसी कि बसा ले
उसे साँसो में हम ।
और...
किस्मत ऐसी कि
दीदार के भी मोहताज है ।


मेरी मोहब्बत है वो...

मेरी मोहब्बत है वो...

मेरी मोहब्बत है वो कोई मज़बूरी तो नही,
वो मुझे चाहे या मिल जाये, जरूरी तो नही,
ये कुछ कम है कि बसा है मेरी साँसों में वो,
सामने हो मेरी आँखों के जरूरी तो नही ।
तनहा छोड़ जाते हो...

तनहा छोड़ जाते हो...

एक पल का एहसास बनकर आते हो तुम,
दूसरे ही पल ख्वाब बनकर उड़ जाते हो तुम,
जानते हो कि लगता है डर तन्हाइयों से,
फिर भी बार बार तन्हा छोड़ जाते हो तुम।
ज़िन्दगी वो थी...

ज़िन्दगी वो थी...

उस से बिछड़े तो मालूम हुआ
कि मौत भी कोई चीज़ है फ़राज़
ज़िन्दगी वो थी.......... जो हम
उसकी महफ़िल में गुज़ार आए ।

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